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Keshav Ram Singhal

Monday, February 27, 2023

जोखिम प्रबंधन पर जागरूकता लेख-श्रृंखला - 15 - जोखिम पहचान तकनीकें

जोखिम प्रबंधन पर जागरूकता लेख-श्रृंखला - 15

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जोखिम पहचान तकनीकें

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हम जानते हैं कि जोखिम हमारे दैनिक जीवन के साथ-साथ हर व्यावसायिक उद्यम का एक अनिवार्य हिस्सा है। सड़क पार करते समय दुर्घटना का जोखिम, भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाने पर संक्रमण का जोखिम, उत्पादन मशीन के अचानक रुक जाए का जोखिम, आदि अनेक उदाहरण हो सकते हैं। जोखिम को कम किया जा सकता है या टाला जा सकता है, यदि हम यह जान लें कि हमारे जीवन, हमारी व्यावसायिक परियोजना या संस्था में वास्तविक जोखिम क्या है,  इसका सीधा सा अर्थ है कि सर्वप्रथम जोखिम को पहचानने की आवश्यकता है। इस पहचान के लिए हमें आंतरिक और बाहरी दोनों कारकों पर विचार करने की आवश्यकता है जिनके कारण जोखिम हो सकता है।


IEC 31010:2019 जोखिम प्रबंधन - जोखिम मूल्यांकन तकनीकों पर एक अंतरराष्ट्रीय मानक है। IEC एक अंतरराष्ट्रीय मानक संस्था है जिसका नाम  इंटरनेशनल इलेक्ट्रोटेक्निकल कमीशन (International Electrotechnical Commission) है। इंटरनेशनल इलेक्ट्रोटेक्निकल कमीशन इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक और संबंधित प्रौद्योगिकियों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को विकसित और प्रकाशित करता है। IEC 31010:2019 को ISO के साथ एक दोहरे लोगो मानक के रूप में प्रकाशित किया गया है और यह विभिन्न प्रकार की स्थितियों में जोखिम का आकलन करने के लिए तकनीकों के चयन और अनुप्रयोग पर मार्गदर्शन प्रदान करता है। तकनीकों का उपयोग निर्णय लेने में सहायता के लिए किया जाता है जहाँ अनिश्चितता होती है, विशेष जोखिमों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए और जोखिम प्रबंधन के लिए एक प्रक्रिया के भाग के रूप में। यह दस्तावेज़ अन्य दस्तावेज़ों के संदर्भ के साथ तकनीकों की एक श्रृंखला का सारांश प्रदान करता है, जहाँ तकनीकों का अधिक विस्तार से वर्णन किया गया है। यह प्रकाशन 264 पृष्ठों का है। जोखिम मूल्यांकन तकनीकों पर विस्तृत जानकारी के लिए इस प्रकाशन को पढ़ने की सलाह दी जाती है। 

 











जोखिमों की पहचान करने के लिए कई तकनीकें हैं जो वर्तमान जोखिमों या आने वाले समय की जोखिमों की पहचान करने में सहायक हैं। कुछ ऐसे ही जोखिम पहचान तकनीकें हैं -


- मंथन (Brainstorming)

- संरचित या अर्ध-संरचित साक्षात्कार (Structured or semi-structured interviews)

- दस्तावेज़ समीक्षा (Document review)

- मूल कारण की पहचान (Idetifying the root cause)

- सूची विश्लेषण की जाँच करें (Check list analysis)

- डेल्फी तकनीक (Delphi technique)

- प्रारंभिक जोखिम विश्लेषण - पीएचए (Preliminary hazard analysis - PHA)

- खतरा और संचालन क्षमता अध्ययन - एचएजेडओपी   (Hazard and operability study - HAZOP)

- खतरा विश्लेषण और महत्वपूर्ण नियंत्रण बिंदु - एचएसीसीपी (Hazard analysis and critical control points - HACCP)

- विषाक्तता मूल्यांकन (Toxicity assessment)

 

संस्था द्वारा चुनी गई तकनीक संस्था में काम करने वाले लोगों के ज्ञान और उनकी जागरूकता पर निर्भर करती है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एक विशिष्ट तकनीक चुनने के बजाय, विभिन्न तकनीकों के संयोजन का उपयोग करके अधिक प्रभावी परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। 

 

"डेल्फी विधि (Delphi Method) - जोखिम प्रबंधन के लिए एक उपकरण (A tool for Risk Management)" आलेख इसी ब्लॉग में पढ़ा जा सकता है, जिसे 3 फरवरी 2016 को पोस्ट किया गया था। 

 

अगला लेख - अगले लेख में हम अन्य जोखिम पहचान तकनीकों पर चर्चा करेंगे।

 

आपको यह जागरूकता लेख कैसा लगा, कृपया टिप्पणी करें। आपके सुझाव आमंत्रित हैं।

 

सादर,

केशव राम सिंघल

 

साभार – प्रतीकात्मक चित्र – इंटरनेट

 

Saturday, February 4, 2023

जोखिम प्रबंधन पर जागरूकता लेख-श्रृंखला - 14 - जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया की निगरानी (Monitoring), पुनरीक्षण (Review), रिकॉर्डिंग (Recording) और रिपोर्टिंग (Reporting)

जोखिम प्रबंधन पर जागरूकता लेख-श्रृंखला - 14

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जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया की निगरानी (Monitoring) और पुनरीक्षण (Review)

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जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया की निगरानी (Monitoring) और पुनरीक्षण (Review) के लिए आईएसओ 31000:2018 मानक के खंड 6.6 में मार्गदर्शन प्रदान किया गया है।

 

सर्वप्रथम यह जानना चाहिए कि निगरानी (Monitoring) और पुनरीक्षण (Review) से तात्पर्य क्या है।



 











यहाँ निगरानी का अर्थ है आवश्यक या अपेक्षित प्रदर्शन स्तर पर परिवर्तन की पहचान करने के लिए जोखिम प्रबंधन ढांचे, जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया, जोखिम और जोखिम नियंत्रण की स्थिति की निरंतर जांच, पर्यवेक्षण, गंभीर रूप से अवलोकन या निर्धारण करना।

 

यहाँ पुनरीक्षण का अर्थ स्थापित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विषय वस्तु की उपयुक्तता, पर्याप्तता और प्रभावशीलता को निर्धारित करने के लिए की गई गतिविधि है। पुनरीक्षण को जोखिम प्रबंधन ढाँचे, जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया, जोखिम या जोखिम नियंत्रण पर लागू किया जा सकता है।

 

निगरानी और पुनरीक्षण का उद्देश्य जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया डिजाइन, कार्यान्वयन और परिणामों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को सुनिश्चित करना और सुधारना है। जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया और उसके परिणामों की निरंतर निगरानी और आवधिक पुनरीक्षण जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया का सुनियोजित हिस्सा होना चाहिए और इससे सम्बंधित जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए।

 







जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया के सभी चरणों में निगरानी और पुनरीक्षण की जानी चाहिए। निगरानी और पुनरीक्षण में योजना बनाना, जानकारी एकत्र करना, एकत्रित जानकारियों का विश्लेषण करना, परिणाम दर्ज करना और प्रतिक्रिया (feedback) प्रदान करना शामिल है।

 

निगरानी और पुनरीक्षण के परिणामों को संस्था के निष्पादन प्रबंधन, मापन और रिपोर्टिंग गतिविधियों में शामिल किया जाना चाहिए।


जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग (Recording) और रिपोर्टिंग (Reporting)

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जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग (Recording) और रिपोर्टिंग (Reporting) के लिए आईएसओ 31000:2018 मानक के खंड 6.7 में मार्गदर्शन प्रदान किया गया है।

 

जोखिम रिपोर्टिंग जोखिम की वर्तमान स्थिति और उसके प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदान करके विशेष आंतरिक पार्टी (जैसे - कर्मचारियों) या बाहरी इच्छुक पार्टी को सूचित करने के लिए सम्प्रेषण का एक तरीका है।

 

जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया और उसके परिणामों की रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग के निम्न उद्देश्य होते हैं -

- पूरी संस्था में जोखिम प्रबंधन गतिविधियों और परिणामों को संप्रेषित करना, ताकि संस्था में सभी जोखिम प्रबंधन गतिविधियों और परिणामों को जान सकें।

- निर्णय लेने के लिए जानकारी प्रदान करना।

- जोखिम प्रबंधन गतिविधियों में सुधार हो सके।

- जोखिम प्रबंधन गतिविधियों के लिए जिम्मेदार और उत्तरदायी व्यक्तियों सहित हितधारकों के साथ बातचीत में सहायता करना।



 











जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया और इसके परिणामों को प्रलेखित किया जाना चाहिए और उचित तंत्र के माध्यम से रिपोर्ट किया जाना चाहिए, ताकि संस्था के लोग जान सकें, संस्था के जिम्मेदार और उत्तरदायी व्यक्ति संस्था के हितधारकों के साथ आसानी से बातचीत कर सकें, उचित निर्णय लेने में सुविधा हो और जोखिम प्रबंधन गतिविधियों में आवश्यक सुधार हो सके।

 

प्रलेखित जानकारी (Documented information) के निर्माण, संभाल कर रखने और व्यवहार में लेने से संबंधित निर्णयों में प्रलेखित जानकारी के उपयोग, सूचना संवेदनशीलता और बाहरी और आंतरिक संदर्भ को ध्यान में रखा जाना चाहिए, लेकिन इन तक सीमित होना जरूरी नहीं।

 

रिपोर्टिंग संस्था के शासन का एक अभिन्न अंग है। रिपोर्टिंग से हितधारकों के साथ सम्प्रेषण की गुणवत्ता में वृद्धि होनी चाहिए। रिपोर्टिंग को शीर्ष प्रबंधन और निरीक्षण निकायों को उनकी जिम्मेदारियों को पूरा करने में सहायता प्रदान करनी चाहिए।

 

रिपोर्टिंग के लिए विचार करने वाले बहुत से निम्न कारक हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए -

 

- भिन्न-भिन्न हितधारक और उनकी विशिष्ट सूचना आवश्यकताएँ और अपेक्षाएँ

- रिपोर्टिंग की लागत

- रिपोर्टिंग की आवृत्ति

- रिपोर्टिंग की समयबद्धता

- रिपोर्टिंग का तरीका

- संस्था के उद्देश्यों और निर्णय लेने के लिए सूचना की प्रासंगिकता।

 

यहाँ यह ध्यान रखें कि रिपोर्टिंग के लिए विचार करने वाले कारक उपर्युक्त कारकों तक ही सीमित नहीं हैं, उनके अलावा भी अन्य कारक हो सकते हैं, जिन पर भी ध्यान देना चाहिए।


प्रसंगवश 

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जोखिम उठाने का माद्दा (Risk appetite)

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जोखिम प्रबंधन एक जटिल चुनौती है जो मानव अस्तित्व के लगभग सभी पहलुओं को छूती है, और इसमें कई आयाम शामिल हैं। ऐसा ही एक आयाम है जोखिम लेने की क्षमता या जोखिम उठाने का माद्दा। आईएसओ 31073:2022 मानक, जोखिम प्रबंधन - शब्दावली पर, जोखिम उठाने के माद्दे (Risk appetite) को उस राशि और प्रकार के जोखिम के रूप में परिभाषित करता है जिसे संस्था आने वाले समय में भी पीछे लगे रहने या बनाए रखने के लिए तैयार है।


संस्था के संकट को बढ़े हुए जोखिमों की तीव्र अभिव्यक्ति के रूप में माना जा सकता है। जोखिम की सामान्य अवधारणा में कुछ संकट निहित हैं और एक संकट खतरे के साथ-साथ जोखिम को प्रबंधित करने का अवसर प्रदान करता है। हम जानते हैं कि जीवन में हर काम में जोखिम शामिल होते हैं। भली प्रकार निपटने के लिए प्रत्येक महत्वपूर्ण जोखिम और संभावित नकारात्मक परिणामों का ठीक से अध्ययन किया जाना चाहिए, साथ ही निगरानी और संकट से उभरने के लिए प्रासंगिक सभी को तैयार किया जाना चाहिए, जिसके लिए अवसरों की सकारात्मक क्षमता का भी सक्रिय रूप से पता लगाया जाना चाहिए, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाली संस्थाओं के लिए।

 

अगला लेख - अगले लेख में हम कुछ जोखिम पहचान तकनीकों (Risk Identification Techniques) पर चर्चा करेंगे।

 

आपको यह जागरूकता लेख कैसा लगा, कृपया टिप्पणी करें। आपके सुझाव आमंत्रित हैं।

 

सादर,

केशव राम सिंघल

 

साभार – प्रतीकात्मक चित्र – इंटरनेट

 

Sunday, January 22, 2023

जोखिम प्रबंधन पर जागरूकता लेख-श्रृंखला - 13 - जोखिम उपचार (Risk treatment)

जोखिम प्रबंधन पर जागरूकता लेख-श्रृंखला - 13

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जोखिम उपचार (Risk treatment)

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सबसे पहले हमें 'जोखिम उपचार' (risk treatment) पद का अर्थ समझना चाहिए। 'जोखिम प्रबंधन - शब्दावली' पर जारी आईएसओ 31073:2022 मानक में 'जोखिम उपचार' (risk treatment) पद को जोखिम को संशोधित करने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है।

 

जोखिम उपचार में निम्नलिखित में से एक या अधिक शामिल हो सकते हैं -

 

- जोखिम को जन्म देने वाली गतिविधि को शुरू या जारी नहीं रखने का निर्णय लेकर जोखिम से बचना

- किसी अवसर को पाने के लिए जोखिम उठाना या बढ़ाना

- जोखिम स्रोत को हटाना अर्थात्त जोखिम स्रोत को समाप्त कर देना

- संभावना बदलना

- परिणाम बदलना

- अन्य पक्ष या पक्षों के साथ जोखिम साझा करना [अनुबंध और जोखिम वित्तपोषण सहित]

- सूचित निर्णय द्वारा जोखिम को बनाए रखना

 









हमें यह भी समझना चाहिए कि नकारात्मक परिणामों से निपटने वाले जोखिम उपचारों को कभी-कभी "जोखिम शमन" (risk mitigation), "जोखिम उन्मूलन" (risk elimination), "जोखिम रोकथाम" (risk prevention) और "जोखिम में कमी" (risk reduction) के रूप में बोला या संदर्भित किया जाता है।

 

यह भी सच है कि जोखिम उपचार नए जोखिम पैदा कर सकता है या मौजूदा जोखिमों को संशोधित कर सकता है।

 

आईएसओ 31000:2018 मानक के खंड 6.5 में जोखिम उपचार पर मार्गदर्शन प्रदान किया गया है।

 

जोखिम उपचार - सामान्य

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जोखिम उपचार का उद्देश्य जोखिम से निपटने के लिए विकल्पों का चयन करना और उन्हें लागू करना है। जोखिम उपचार जोखिम को संशोधित करने के उपायों के चयन और कार्यान्वयन की प्रक्रिया है। जोखिम उपचार के उपायों में जोखिम से बचना, अनुकूलन करना, स्थानांतरित करना या बनाए रखना शामिल हो सकता है।

 

जोखिम उपचार एक पुनरावृत्ति प्रक्रिया है, अर्थात्त यह एक बारीय प्रक्रिया नहीं है, बल्कि बार-बार इसे दोहराने की जरुरत है।

 

पुनरावृत्ति प्रक्रिया = बार-बार की जाने वाली प्रक्रिया

 

जोखिम उपचार के लिए इस पुनरावृति प्रक्रिया में निम्न शामिल हो सकते हैं -

 

- जोखिम उपचार विकल्पों का निर्माण करना और तय करना।

- जोखिम उपचार की उपयुक्त योजना बनाना और उसे लागू करना।

- किए जोखिम उपचार की प्रभावशीलता का आकलन करना।

- यह तय करना कि क्या बचा हुआ जोखिम स्वीकार्य है।

- यदि स्वीकार्य नहीं है, तो यह तय करना कि जोखिम उपचार ले रहे हैं।




 






जोखिम उपचार - जोखिम उपचार विकल्पों का चयन

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सबसे उपयुक्त जोखिम उपचार विकल्प (विकल्पों) का चयन करने में लागत, प्रयास या कार्यान्वयन के नुकसान के समक्ष उद्देश्यों की उपलब्धि के संबंध में प्राप्त संभावित लाभों को संतुलित करना शामिल है।

 

जोखिम उपचार के विकल्प आवश्यक रूप से परस्पर अनन्य या सभी परिस्थितियों में उपयुक्त नहीं होते हैं। जोखिम उपचार के विकल्पों में निम्नलिखित में से एक या एक से अधिक शामिल हो सकते हैं -

 

- ऐसी गतिविधि को शुरू करने का या जारी रखने का निर्णय लेकर जोखिम से बचना

- किसी अवसर को पाने के लिए जोखिम को स्वीकारना या बढ़ाना

- जोखिम स्रोत को हटाना ताकि जोखिम पैदा ही ना हो सके

- संभावना बदलना

- परिणाम (consequence) बदलना

- जोखिम साझा करना (उदाहरण के लिए, अनुबंधों के माध्यम से, बीमा खरीदना)

- सूचित निर्णय द्वारा जोखिम को बनाए रखना।

 

जोखिम उपचार के लिए औचित्य केवल आर्थिक विचारों से व्यापक होता है और इसमें संस्था के सभी दायित्वों, स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं और हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। जोखिम उपचार विकल्पों का चयन संस्था के उद्देश्यों, जोखिम मानदंड और उपलब्ध संसाधनों के अनुसार किया जाना चाहिए।

 

जोखिम उपचार विकल्पों का चयन करते समय, संस्था को हितधारकों के मूल्यों, धारणाओं और संभावित भागीदारी और उनके साथ संवाद करने और परामर्श करने के सबसे उपयुक्त तरीकों पर विचार करना चाहिए। हालाँकि समान रूप से प्रभावी, कुछ जोखिम उपचार दूसरों की तुलना में कुछ हितधारकों के लिए अधिक स्वीकार्य हो सकते हैं।

 

जोखिम उपचार, भले ही सावधानीपूर्वक डिजाइन और कार्यान्वित किए गए हों, अपेक्षित परिणाम नहीं दे सकते हैं और अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न कर सकते हैं। निगरानी और समीक्षा को जोखिम उपचार कार्यान्वयन का एक अभिन्न अंग होने की आवश्यकता है ताकि यह आश्वासन दिया जा सके कि जोखिम उपचार के विभिन्न रूप प्रभावी हो जाते हैं और बने रहते हैं।

 

जोखिम उपचार नए जोखिम भी पेश कर सकता है, जिन्हें प्रबंधित करने की आवश्यकता है।

 

यदि जोखिम उपचार का कोई विकल्प उपलब्ध नहीं हैं या यदि जोखिम उपचार के विकल्प जोखिम को पर्याप्त रूप से संशोधित नहीं करते हैं, तो जोखिम को प्रलेखित (रिकॉर्ड) किया जाना चाहिए और चल रही समीक्षा के तहत रखा जाना चाहिए।

 

निर्णय निर्माताओं और अन्य हितधारकों को जोखिम उपचार के बाद शेष जोखिम की प्रकृति और सीमा के बारे में पता होना चाहिए। शेष जोखिम को प्रलेखित किया जाना चाहिए और निगरानी, ​​समीक्षा और जहाँ उपयुक्त हो, आगे के जोखिम उपचार के अधीन होना चाहिए।

 










जोखिम उपचार - जोखिम उपचार योजना तैयार करना और कार्यान्वित करना

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जोखिम उपचार योजनाओं का उद्देश्य यह निर्दिष्ट करना है कि चुने गए उपचार विकल्पों को कैसे लागू किया जाएगा, ताकि शामिल लोगों द्वारा व्यवस्थाओं को समझा जा सके और योजना के विरुद्ध प्रगति की निगरानी की जा सके। उपचार योजना को स्पष्ट रूप से उस क्रम की पहचान करनी चाहिए जिसमें जोखिम उपचार लागू किया जाना चाहिए।

 

उपयुक्त हितधारकों के परामर्श से जोखिम उपचार योजनाओं को संस्था की प्रबंधन योजनाओं और प्रक्रियाओं में एकीकृत किया जाना चाहिए।

 

जोखिम उपचार योजना में दी गई जानकारी में निम्न शामिल किए जाने चाहिए -

 

-  प्राप्त किए जाने वाले अपेक्षित लाभों सहित उपचार विकल्पों के चयन का तर्क आधार

- वे सभी तथ्य जो योजना के अनुमोदन और कार्यान्वयन के लिए जवाबदेह और जिम्मेदार हैं

- प्रस्तावित अर्थात् की जाने वाली कार्रवाइयाँ

- आकस्मिकताओं सहित आवश्यक संसाधन

- प्रदर्शन के उपाय

- बाधाएँ अर्थात् क्या मुश्किलें सकती हैं

- आवश्यक रिपोर्टिंग और निगरानी

- जब कार्रवाई किए जाने की जरुरत और पूरी होने की उम्मीद हो।

 

यह ध्यान देने की बात है कि जोखिम उपचार का उद्देश्य जोखिम से निबटना है।

 








प्रसंगवश

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जोखिम वित्तपोषण क्या है?

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जोखिम वित्तपोषण जोखिम उपचार का एक रूप है जिसमें यदि वित्तीय परिणामों से सम्बंधित जोखिम घटित होते हों तो वित्तीय परिणामों को पूरा करने या संशोधित करने के लिए धन के प्रावधान की आकस्मिक व्यवस्था शामिल होती है। जोखिम वित्तपोषण इस बात का निर्धारण है कि संस्था नुकसान की घटनाओं के लिए सबसे प्रभावी और कम से कम खर्चीले तरीके से कैसे भुगतान करेगी। जोखिम वित्तपोषण में जोखिमों की पहचान, जोखिम का वित्तपोषण कैसे करना है, और चुनी गई वित्तपोषण तकनीक की प्रभावशीलता की निगरानी करना शामिल होता है।

 

किसी संस्था के वित्तीय जोखिमों को वर्गीकृत करने के कई तरीके हैं। इसके लिए एक दृष्टिकोण वित्तीय जोखिम को चार व्यापक श्रेणियों : बाजार जोखिम (market risk), ऋण जोखिम (credit risk), चलनिधि जोखिम (liquidity risk) और परिचालन जोखिम (operational risk) में विभाजित करके प्रदान किया जाता है।

 

जोखिम वित्तपोषण विधियों में निम्न शामिल हो सकते हैं: (1) बीमा, (2) स्व-बीमा, (3) पारस्परिक बीमा, (4) परिमित जोखिम अनुबंध, और (5) पूँजी बाजार। अधिकांश संस्थाएँ बीमा को जोखिमों के प्रबंधन के लिए एक जोखिम वित्तपोषण पद्धति के रूप में पहचानते हैं।

 

अगला लेख - अगले लेख में हम जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया की निगरानी, पुनरीक्षण, रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग पर चर्चा करेंगे।

 

आपको यह जागरूकता लेख कैसा लगा, कृपया टिप्पणी करें। आपके सुझाव आमंत्रित हैं।

 

सादर,

केशव राम सिंघल

 

साभार – प्रतीकात्मक चित्र – इंटरनेट