जोखिम प्रबंधन पर जागरूकता लेख-श्रृंखला - 15
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जोखिम पहचान तकनीकें
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हम जानते हैं कि जोखिम हमारे दैनिक जीवन के साथ-साथ हर व्यावसायिक उद्यम का
एक अनिवार्य हिस्सा है। सड़क पार करते समय दुर्घटना का जोखिम, भीड़-भाड़ वाले इलाके में
जाने पर संक्रमण का जोखिम, उत्पादन मशीन के अचानक रुक जाए का जोखिम, आदि अनेक उदाहरण
हो सकते हैं। जोखिम को कम किया जा सकता है या टाला जा सकता है, यदि हम यह जान लें कि
हमारे जीवन, हमारी व्यावसायिक परियोजना या संस्था में वास्तविक जोखिम क्या है, इसका सीधा सा अर्थ है कि सर्वप्रथम जोखिम को पहचानने
की आवश्यकता है। इस पहचान के लिए हमें आंतरिक और बाहरी दोनों कारकों पर विचार करने
की आवश्यकता है जिनके कारण जोखिम हो सकता है।
IEC 31010:2019 जोखिम प्रबंधन - जोखिम मूल्यांकन तकनीकों पर एक अंतरराष्ट्रीय मानक है। IEC एक अंतरराष्ट्रीय मानक संस्था है जिसका नाम इंटरनेशनल इलेक्ट्रोटेक्निकल कमीशन (International Electrotechnical Commission) है। इंटरनेशनल इलेक्ट्रोटेक्निकल कमीशन इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक और संबंधित प्रौद्योगिकियों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को विकसित और प्रकाशित करता है। IEC 31010:2019 को ISO के साथ एक दोहरे लोगो मानक के रूप में प्रकाशित किया गया है और यह विभिन्न प्रकार की स्थितियों में जोखिम का आकलन करने के लिए तकनीकों के चयन और अनुप्रयोग पर मार्गदर्शन प्रदान करता है। तकनीकों का उपयोग निर्णय लेने में सहायता के लिए किया जाता है जहाँ अनिश्चितता होती है, विशेष जोखिमों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए और जोखिम प्रबंधन के लिए एक प्रक्रिया के भाग के रूप में। यह दस्तावेज़ अन्य दस्तावेज़ों के संदर्भ के साथ तकनीकों की एक श्रृंखला का सारांश प्रदान करता है, जहाँ तकनीकों का अधिक विस्तार से वर्णन किया गया है। यह प्रकाशन 264 पृष्ठों का है। जोखिम मूल्यांकन तकनीकों पर विस्तृत जानकारी के लिए इस प्रकाशन को पढ़ने की सलाह दी जाती है।
जोखिमों की पहचान करने के लिए कई तकनीकें हैं जो वर्तमान जोखिमों या आने वाले समय की जोखिमों की पहचान करने में सहायक हैं। कुछ ऐसे ही जोखिम पहचान तकनीकें हैं -
- मंथन (Brainstorming)
- संरचित या अर्ध-संरचित साक्षात्कार (Structured or semi-structured interviews)
- दस्तावेज़ समीक्षा (Document review)
- मूल कारण की पहचान (Idetifying the root cause)
- सूची विश्लेषण की जाँच करें (Check list analysis)
- डेल्फी तकनीक (Delphi technique)
- प्रारंभिक जोखिम विश्लेषण - पीएचए (Preliminary hazard analysis - PHA)
- खतरा और संचालन क्षमता अध्ययन - एचएजेडओपी (Hazard and operability study - HAZOP)
- खतरा विश्लेषण और महत्वपूर्ण नियंत्रण बिंदु - एचएसीसीपी (Hazard analysis and critical control points - HACCP)
- विषाक्तता मूल्यांकन (Toxicity assessment)
संस्था द्वारा चुनी गई तकनीक संस्था में काम करने वाले लोगों के ज्ञान और उनकी
जागरूकता पर निर्भर करती है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एक विशिष्ट तकनीक चुनने के
बजाय, विभिन्न तकनीकों के संयोजन का उपयोग करके अधिक प्रभावी परिणाम प्राप्त किया जा
सकता है।
"डेल्फी विधि (Delphi Method) - जोखिम प्रबंधन के लिए एक उपकरण (A
tool for Risk Management)" आलेख इसी ब्लॉग में पढ़ा जा सकता है, जिसे 3 फरवरी
2016 को पोस्ट किया गया था।
अगला लेख - अगले लेख में हम अन्य जोखिम पहचान तकनीकों पर चर्चा करेंगे।
आपको यह जागरूकता लेख कैसा लगा, कृपया टिप्पणी करें। आपके सुझाव आमंत्रित हैं।
सादर,
केशव राम सिंघल
साभार – प्रतीकात्मक चित्र – इंटरनेट