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Keshav Ram Singhal

Sunday, January 22, 2023

जोखिम प्रबंधन पर जागरूकता लेख-श्रृंखला - 13 - जोखिम उपचार (Risk treatment)

जोखिम प्रबंधन पर जागरूकता लेख-श्रृंखला - 13

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जोखिम उपचार (Risk treatment)

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सबसे पहले हमें 'जोखिम उपचार' (risk treatment) पद का अर्थ समझना चाहिए। 'जोखिम प्रबंधन - शब्दावली' पर जारी आईएसओ 31073:2022 मानक में 'जोखिम उपचार' (risk treatment) पद को जोखिम को संशोधित करने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है।

 

जोखिम उपचार में निम्नलिखित में से एक या अधिक शामिल हो सकते हैं -

 

- जोखिम को जन्म देने वाली गतिविधि को शुरू या जारी नहीं रखने का निर्णय लेकर जोखिम से बचना

- किसी अवसर को पाने के लिए जोखिम उठाना या बढ़ाना

- जोखिम स्रोत को हटाना अर्थात्त जोखिम स्रोत को समाप्त कर देना

- संभावना बदलना

- परिणाम बदलना

- अन्य पक्ष या पक्षों के साथ जोखिम साझा करना [अनुबंध और जोखिम वित्तपोषण सहित]

- सूचित निर्णय द्वारा जोखिम को बनाए रखना

 









हमें यह भी समझना चाहिए कि नकारात्मक परिणामों से निपटने वाले जोखिम उपचारों को कभी-कभी "जोखिम शमन" (risk mitigation), "जोखिम उन्मूलन" (risk elimination), "जोखिम रोकथाम" (risk prevention) और "जोखिम में कमी" (risk reduction) के रूप में बोला या संदर्भित किया जाता है।

 

यह भी सच है कि जोखिम उपचार नए जोखिम पैदा कर सकता है या मौजूदा जोखिमों को संशोधित कर सकता है।

 

आईएसओ 31000:2018 मानक के खंड 6.5 में जोखिम उपचार पर मार्गदर्शन प्रदान किया गया है।

 

जोखिम उपचार - सामान्य

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जोखिम उपचार का उद्देश्य जोखिम से निपटने के लिए विकल्पों का चयन करना और उन्हें लागू करना है। जोखिम उपचार जोखिम को संशोधित करने के उपायों के चयन और कार्यान्वयन की प्रक्रिया है। जोखिम उपचार के उपायों में जोखिम से बचना, अनुकूलन करना, स्थानांतरित करना या बनाए रखना शामिल हो सकता है।

 

जोखिम उपचार एक पुनरावृत्ति प्रक्रिया है, अर्थात्त यह एक बारीय प्रक्रिया नहीं है, बल्कि बार-बार इसे दोहराने की जरुरत है।

 

पुनरावृत्ति प्रक्रिया = बार-बार की जाने वाली प्रक्रिया

 

जोखिम उपचार के लिए इस पुनरावृति प्रक्रिया में निम्न शामिल हो सकते हैं -

 

- जोखिम उपचार विकल्पों का निर्माण करना और तय करना।

- जोखिम उपचार की उपयुक्त योजना बनाना और उसे लागू करना।

- किए जोखिम उपचार की प्रभावशीलता का आकलन करना।

- यह तय करना कि क्या बचा हुआ जोखिम स्वीकार्य है।

- यदि स्वीकार्य नहीं है, तो यह तय करना कि जोखिम उपचार ले रहे हैं।




 






जोखिम उपचार - जोखिम उपचार विकल्पों का चयन

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सबसे उपयुक्त जोखिम उपचार विकल्प (विकल्पों) का चयन करने में लागत, प्रयास या कार्यान्वयन के नुकसान के समक्ष उद्देश्यों की उपलब्धि के संबंध में प्राप्त संभावित लाभों को संतुलित करना शामिल है।

 

जोखिम उपचार के विकल्प आवश्यक रूप से परस्पर अनन्य या सभी परिस्थितियों में उपयुक्त नहीं होते हैं। जोखिम उपचार के विकल्पों में निम्नलिखित में से एक या एक से अधिक शामिल हो सकते हैं -

 

- ऐसी गतिविधि को शुरू करने का या जारी रखने का निर्णय लेकर जोखिम से बचना

- किसी अवसर को पाने के लिए जोखिम को स्वीकारना या बढ़ाना

- जोखिम स्रोत को हटाना ताकि जोखिम पैदा ही ना हो सके

- संभावना बदलना

- परिणाम (consequence) बदलना

- जोखिम साझा करना (उदाहरण के लिए, अनुबंधों के माध्यम से, बीमा खरीदना)

- सूचित निर्णय द्वारा जोखिम को बनाए रखना।

 

जोखिम उपचार के लिए औचित्य केवल आर्थिक विचारों से व्यापक होता है और इसमें संस्था के सभी दायित्वों, स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं और हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। जोखिम उपचार विकल्पों का चयन संस्था के उद्देश्यों, जोखिम मानदंड और उपलब्ध संसाधनों के अनुसार किया जाना चाहिए।

 

जोखिम उपचार विकल्पों का चयन करते समय, संस्था को हितधारकों के मूल्यों, धारणाओं और संभावित भागीदारी और उनके साथ संवाद करने और परामर्श करने के सबसे उपयुक्त तरीकों पर विचार करना चाहिए। हालाँकि समान रूप से प्रभावी, कुछ जोखिम उपचार दूसरों की तुलना में कुछ हितधारकों के लिए अधिक स्वीकार्य हो सकते हैं।

 

जोखिम उपचार, भले ही सावधानीपूर्वक डिजाइन और कार्यान्वित किए गए हों, अपेक्षित परिणाम नहीं दे सकते हैं और अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न कर सकते हैं। निगरानी और समीक्षा को जोखिम उपचार कार्यान्वयन का एक अभिन्न अंग होने की आवश्यकता है ताकि यह आश्वासन दिया जा सके कि जोखिम उपचार के विभिन्न रूप प्रभावी हो जाते हैं और बने रहते हैं।

 

जोखिम उपचार नए जोखिम भी पेश कर सकता है, जिन्हें प्रबंधित करने की आवश्यकता है।

 

यदि जोखिम उपचार का कोई विकल्प उपलब्ध नहीं हैं या यदि जोखिम उपचार के विकल्प जोखिम को पर्याप्त रूप से संशोधित नहीं करते हैं, तो जोखिम को प्रलेखित (रिकॉर्ड) किया जाना चाहिए और चल रही समीक्षा के तहत रखा जाना चाहिए।

 

निर्णय निर्माताओं और अन्य हितधारकों को जोखिम उपचार के बाद शेष जोखिम की प्रकृति और सीमा के बारे में पता होना चाहिए। शेष जोखिम को प्रलेखित किया जाना चाहिए और निगरानी, ​​समीक्षा और जहाँ उपयुक्त हो, आगे के जोखिम उपचार के अधीन होना चाहिए।

 










जोखिम उपचार - जोखिम उपचार योजना तैयार करना और कार्यान्वित करना

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जोखिम उपचार योजनाओं का उद्देश्य यह निर्दिष्ट करना है कि चुने गए उपचार विकल्पों को कैसे लागू किया जाएगा, ताकि शामिल लोगों द्वारा व्यवस्थाओं को समझा जा सके और योजना के विरुद्ध प्रगति की निगरानी की जा सके। उपचार योजना को स्पष्ट रूप से उस क्रम की पहचान करनी चाहिए जिसमें जोखिम उपचार लागू किया जाना चाहिए।

 

उपयुक्त हितधारकों के परामर्श से जोखिम उपचार योजनाओं को संस्था की प्रबंधन योजनाओं और प्रक्रियाओं में एकीकृत किया जाना चाहिए।

 

जोखिम उपचार योजना में दी गई जानकारी में निम्न शामिल किए जाने चाहिए -

 

-  प्राप्त किए जाने वाले अपेक्षित लाभों सहित उपचार विकल्पों के चयन का तर्क आधार

- वे सभी तथ्य जो योजना के अनुमोदन और कार्यान्वयन के लिए जवाबदेह और जिम्मेदार हैं

- प्रस्तावित अर्थात् की जाने वाली कार्रवाइयाँ

- आकस्मिकताओं सहित आवश्यक संसाधन

- प्रदर्शन के उपाय

- बाधाएँ अर्थात् क्या मुश्किलें सकती हैं

- आवश्यक रिपोर्टिंग और निगरानी

- जब कार्रवाई किए जाने की जरुरत और पूरी होने की उम्मीद हो।

 

यह ध्यान देने की बात है कि जोखिम उपचार का उद्देश्य जोखिम से निबटना है।

 








प्रसंगवश

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जोखिम वित्तपोषण क्या है?

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जोखिम वित्तपोषण जोखिम उपचार का एक रूप है जिसमें यदि वित्तीय परिणामों से सम्बंधित जोखिम घटित होते हों तो वित्तीय परिणामों को पूरा करने या संशोधित करने के लिए धन के प्रावधान की आकस्मिक व्यवस्था शामिल होती है। जोखिम वित्तपोषण इस बात का निर्धारण है कि संस्था नुकसान की घटनाओं के लिए सबसे प्रभावी और कम से कम खर्चीले तरीके से कैसे भुगतान करेगी। जोखिम वित्तपोषण में जोखिमों की पहचान, जोखिम का वित्तपोषण कैसे करना है, और चुनी गई वित्तपोषण तकनीक की प्रभावशीलता की निगरानी करना शामिल होता है।

 

किसी संस्था के वित्तीय जोखिमों को वर्गीकृत करने के कई तरीके हैं। इसके लिए एक दृष्टिकोण वित्तीय जोखिम को चार व्यापक श्रेणियों : बाजार जोखिम (market risk), ऋण जोखिम (credit risk), चलनिधि जोखिम (liquidity risk) और परिचालन जोखिम (operational risk) में विभाजित करके प्रदान किया जाता है।

 

जोखिम वित्तपोषण विधियों में निम्न शामिल हो सकते हैं: (1) बीमा, (2) स्व-बीमा, (3) पारस्परिक बीमा, (4) परिमित जोखिम अनुबंध, और (5) पूँजी बाजार। अधिकांश संस्थाएँ बीमा को जोखिमों के प्रबंधन के लिए एक जोखिम वित्तपोषण पद्धति के रूप में पहचानते हैं।

 

अगला लेख - अगले लेख में हम जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया की निगरानी, पुनरीक्षण, रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग पर चर्चा करेंगे।

 

आपको यह जागरूकता लेख कैसा लगा, कृपया टिप्पणी करें। आपके सुझाव आमंत्रित हैं।

 

सादर,

केशव राम सिंघल

 

साभार – प्रतीकात्मक चित्र – इंटरनेट