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Keshav Ram Singhal

Wednesday, November 23, 2022

जोखिम प्रबंधन पर जागरूकता लेख-श्रृंखला - 10 - जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया - सम्प्रेषण और परामर्श

जोखिम प्रबंधन पर जागरूकता लेख-श्रृंखला - 10

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जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया - सम्प्रेषण और परामर्श

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जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया के लिए सम्प्रेषण और परामर्श से सम्बंधित मार्दर्शन आईएसओ 31000 :2018 मानक के उपखण्ड 6.2 में दिया गया है।

 

सम्प्रेषण और परामर्श का उद्देश्य जोखिम को समझने में प्रासंगिक हितधारकों की सहायता करना है, जिस आधार पर निर्णय किए जाते हैं और जिन कारणों से विशेष कार्यों की आवश्यकता होती है। सम्प्रेषण जागरूकता और जोखिम की समझ को बढ़ावा देना चाहता है, जबकि परामर्श में निर्णय लेने का समर्थन करने के लिए प्रतिक्रिया और जानकारी प्राप्त करना शामिल है। दोनों के बीच घनिष्ठ समन्वय से सूचना की गोपनीयता और अखंडता के साथ-साथ व्यक्तियों के गोपनीयता अधिकारों को ध्यान में रखते हुए सूचना के तथ्यात्मक, समय पर, प्रासंगिक, सटीक और समझने योग्य आदान-प्रदान की सुविधा होनी चाहिए।

 










सम्प्रेषण और परामर्श क्यों महत्वपूर्ण है? जब सम्बंधित लोग प्रभावी ढंग से सम्प्रेषण करते हैं, बातचीत करते हैं, तो महत्वपूर्ण जानकारी पर चर्चा करना, चिंताओं को साझा करना या मदद माँगना आसान होता है। किसी और के दृष्टिकोण और स्थिति की बेहतर समझ होती है, जिससे बेहतर निर्णय लेने और समस्याओं का अधिक स्थायी समाधान होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि जोखिम प्रबंधन के लिए अच्छा सम्प्रेषण और परामर्श आवश्यक है। जोखिम और जोखिम प्रबंधन प्रक्रियाओं के बारे में लोगों की समझ को बेहतर बनाने के प्रयासों के लिए भी अच्छा सम्प्रेषण और परामर्श आवश्यक हो जाता है। जोखिम प्रबंधन निर्णय के बारे में जानकारी और समझ के प्रसार के लिए सम्प्रेषण एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह सुनिश्चित करना बेहतर है कि सभी संबंधित बाहरी और आंतरिक हितधारकों की बातों को समझा जाए। यह सुनिश्चित करना भी बेहतर है कि संस्था में हर व्यक्ति को अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में स्पष्ट हो और यह तभी संभव है जब संस्था में बेहतर सम्प्रेषण व्यवस्था हो।

 

जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया के सभी चरणों में और उसके दौरान उपयुक्त बाहरी और आंतरिक हितधारकों के साथ सम्प्रेषण और परामर्श होना चाहिए।

 

जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया में सम्प्रेषण और परामर्श से निम्न उद्देश्यों की पूर्ति होती है - 

 

- बेहतर सम्प्रेषण और परामर्श होने से जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक साथ लाया जा सकता है। आपसी विचार-विमर्श से जोखिम को भली प्रकार समझकर उचित निर्णय लिया जा सकता है।

- बेहतर सम्प्रेषण और परामर्श से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि जोखिम मानदंड को परिभाषित करते समय और जोखिमों का मूल्यांकन करते समय विभिन्न विचारों पर उचित रूप से विचार किया गया है।

- बेहतर सम्प्रेषण और परामर्श से जोखिम निगरानी और निर्णय लेने की सुविधा के लिए पर्याप्त जानकारी प्रदान की जा सकती है।

- बेहतर सम्प्रेषण और परामर्श जोखिम से प्रभावित लोगों में समावेश और स्वामित्व की भावना पैदा करता है, ताकि वे जोखिम प्रबंधन में अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकें। 

 








इस प्रकार, हम देखते हैं कि जोखिम प्रबंधन में परामर्शी सम्प्रेषण बहुत उपयोगी है।

 

सम्प्रेषण + परामर्श = परामर्शी सम्प्रेषण (Consultative communication)

 

परामर्शी सम्प्रेषण सभी से राय प्राप्त करने, छिपे हुए मुद्दों को उजागर करने और आवश्यक आकड़ों के प्रकट करने के लिए खुले प्रश्नों का उपयोग करता है। यह प्रक्रिया संस्था में लोगों को प्रोत्साहित करती है कि उच्च प्रबंधन उनसे परामर्श करने के लिए तैयार है और जोखिम प्रबंधन सम्बन्धी निर्णय लेने की प्रक्रिया से पहले सभी को राय प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

 

प्रसंगवश

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हितधारक (Stakeholder) कौन है?

 

हितधारक = इच्छुक व्यक्ति या संस्था

 

हितधारक एक ऐसा व्यक्ति या संस्था है जो किसी निर्णय या गतिविधि (1) को प्रभावित कर सकता है, (2) से प्रभावित हो सकता है, (3) या खुद को प्रभावित होने का अनुभव कर सकता है।

 

उदाहरण के लिए, हितधारक अंतिम उपयोगकर्ता, ग्राहक, ग्राहक के ग्राहक, संस्था के कर्मचारी, नियामक  आदि हो सकते हैं। जोखिम प्रबंधन में हम खतरों और अवसरों की पहचान करते हैं। हितधारक संस्था के किसी निर्णय या गतिविधि के विरोधी या समर्थक कोई भी हो सकते हैं।

 

हितधारक (Stakeholder) की परिभाषा आईएसओ 37000 :2018 के उपखण्ड 3.3 तथा नवीनतम प्रकाशित आईएसओ 31073: 2022, जोखिम प्रबंधन - शब्दावली मानक में दी गई है।

 

कृपया ध्यान दें!

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मानक दस्तावेज़ आईएसओ 31000: 2018 अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संस्था (आईएसओ) का कॉपीराइट प्रकाशन है, जिसे आईएसओ मुख्यालय या आईएसओ की राष्ट्रीय मानक संस्था सदस्य से प्राप्त किया जा सकता है। भारत में, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) आईएसओ का सदस्य है।

 

'जोखिम प्रबंधन जागरूकता' पर मेरे लेखों का उपयोग आईएसओ 31000:2018 मानक के विकल्प के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। पाठकों को संदर्भ के लिए मानक दस्तावेज़ खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। 'जोखिम प्रबंधन जागरूकता' पर मेरे लेख विषय सम्बन्धी जागरूकता बढ़ाने के लिए एक शैक्षिक प्रयास है।

 

अगला लेख - अगले लेख में हम जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया (Process) - क्षेत्र, सन्दर्भ और मापदंड की चर्चा करेंगे।

 

आपको यह जागरूकता लेख कैसा लगा, कृपया टिप्पणी करें। आपके सुझाव आमंत्रित हैं।

 

सादर,

 

केशव राम सिंघल

 

साभार – प्रतीकात्मक चित्र – इंटरनेट

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